हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हौज़ा एलमिया की सुप्रीम काउंसिल के सचिव, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अहमद फरोख फाल ने कहा है कि इस्लाम नाबे मोहम्मदी (शुद्ध मुहम्मदी इस्लाम) शुरुआत से ही अहंकार (स्तेकबार) के खिलाफ है और ईरानी राष्ट्र की प्रतिष्ठा इसी में निहित है कि वह दुश्मन के सामने डटकर खड़ा रहे।
हुज्जतुल इस्लाम फरोख फाल ने कहा कि इस्लाम के इतिहास में यह सच्चाई स्पष्ट है कि यहूदियों और अरब जाहिलियत ने हमेशा कुरान और शुद्ध इस्लाम के खिलाफ साजिशें रची क्योंकि इस्लाम ने नस्ल, राष्ट्रीयता और रंग की श्रेष्ठता को खारिज करके तक़वा को मानदंड बनाया।
उन्होंने कहा कि पैगंबर मोहम्मद (स.अ.व.) ने हुदैबिया और खैबर जैसे मौकों पर दुश्मनों की चालों को विफल किया और फरमाया कि जो लोग सिर्फ फायदे और लूट के लालच में हैं, वो उम्मत का हिस्सा नहीं बन सकते।
उन्होंने कहा कि इमाम खामेनेई र.ह. ने भी इसी सच्चाई को उजागर किया और जायोनीज़्म (सियोनिज्म) और वैश्विक अहंकार को इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन करार दिया, और आज क्रांति के नेता (इमाम खामेनेई) इसी राह पर दृढ़ता के साथ खड़े हैं। उनके अनुसार,हमारा धर्मों और उनके अनुयायियों से दुश्मनी नहीं है, बल्कि हमारी दुश्मनी अहंकार और सियोनिज्म से है।
हुज्जतुल इस्लाम फरोख फाल ने घटना खैबर का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह इमाम अली (अ.स.) ने अल्लाह की दी हुई शक्ति से क़िला खैबर फतह किया, उसी तरह इमाम खामेनेई (र.ह.) और क्रांति के नेता ने ईमान और अल्लाह पर भरोसे (तवक्कुल) की ताकत से दुश्मन की योजनाओं पर विफलता की मोहर लगाई।
उन्होंने कहा कि दुश्मन ईरान को कमजोर और विभाजित करने की भरपूर कोशिश कर रहा है लेकिन अल्लाह की इच्छा (माशियत-ए-इलाही) और राष्ट्र की जागरूकता ने इन साजिशों को नाकाम कर दिया है।
अपने संबोधन के अंत में उन्होंने कहा,इस्लाम में दुश्मन के सामने आत्मसमर्पण की कोई जगह नहीं है। ईरानी राष्ट्र की प्रतिष्ठा दृढ़ता, प्रतिरोध और यहां तक कि शहादत में है। शहीद हमारे मार्गदर्शक प्रकाश हैं और हमें प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि हर हाल में इस्लाम, विलायत और व्यवस्था के प्रति वफादार रहेंगे।
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